GDPR क्या है? जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन क्या है?

आज के इस डिजिटल युग में डाटा ही मानो सोना है, कई सारे कॉरपोरेट इस डाटा का इस्तेमाल अपने ब्रांड के प्रमोशन के लिए करते है तो कई लोग इसका दुरुपयोग भी करते है। 

आज के इस दौर में हमारी प्राइवेसी और सुरक्षा हमारे लिए बेहद ही महत्वपूर्ण बन चुकी है, इंटरनेट आने के बाद से हमें ऐसा लगता है कि हमारा डाटा असुरक्षित हो चुका है। हमारी जानकारी को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी होती है। ताकि हम किसी फ्रॉड का शिकार न हो।

जीडीपीआर (GDPR) क्या है?

जिस तरह हम अपने घर को सुरक्षित रखने के लिए ताला लगाते है और हमारे पैसे को सलामत रखने के लिए हम अपने पैसे को बैंक में या लॉकर में रख ते है इसी प्रकार हम हमारे डिजिटल डाटा और प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम GDPR करता है। 

कई लोगों को मालूम है तो कई लोगों को इसके बारे में कुछ नहीं पता, इस लेख में हम जानेंगे की GDPR (General Data Protection Regulation) क्या है और यह कैसे काम करता है।

GDPR (जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) को यूरोपीय संघ ने पूरी तरह से लागू किया और इस तरह डेटा प्रोटेक्शन कानून की शुरुआत हुई। यूरोपीय संघ ने यह कानून सभी व्यक्तिगत नागरिकों के लिए डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के रक्षण के लिए बनाया है।

जीडीपीआर का मक्शद व्यक्तियों के व्यक्तिगत जानकारी पर नियंत्रण करना और अधिकार को बढ़ाना साथ ही नियमों को सरल बनाना है। यूरोपीय संघ की परिषद ने GDPR को 14 अप्रैल 2016 को अपनाया और 25 मई 2018 को लागू किया।

जीडीपीआर यानी (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन) यह एक डाटा नियंत्रण कानून है, यह कानून यूरोपीय नागरिकों के डाटा को नियंत्रण और अधिकार रखने और गोपनीयता को मजबूत बनाने के लिए लागू किया गया है। 

सभी व्यक्तियों के डाटा को प्रोटेक्ट रखने के लिए इस कानून से उपभोक्ता को स्वीकृति लेनी पड़ती है उसके बाद ही सर्विस प्रोवाइडर ग्राहकों का डाटा इस्तेमाल कर सकते है। मई, 2018 के बाद से जो ऑनलाइन बिज़नेस GDPR का अनुपालन नहीं करते है तो उन्हें European Union की तरफसे बहोत बड़ी पेनल्टी देनी पड़ती है। 

GDPR का पालन न करने वाली कोई भी ऑनलाइन बिज़नेस और कंपनी को 20 मिलियन यूरो तक का जुर्माना राशि का फुकतान करना पड़सकता है या फिर कंपनी के कुल वैश्विक कारोबार का 4% तक एनुअल रेवेन्यु देना पड़ता है।

GDPR का मुख्य उद्देश्य यह है कि यूजर्स के पर्सनल डाटा और सेंसिटिव डाटा की रक्षा करना और साथी कोई भी निजी कंपनी को बिना यूजर की अनुमति के डाटा न देना है। 

डाटा यानी आपका नाम, इंटरेस्ट, एड्रेस/पता, आईपी एड्रेस, ईमेल इत्यादि होता है। आप इंटरनेट की कोई भी वेबसाइट का इस्तेमाल करते है तो उसका डाटा कंपनी के सर्वर में स्टोर रहता है और आपको पता नहीं होता, लेकिन इस GDPR कानून की वजह से कोई भी कंपनी उन के कानून का उल्लंघन नहीं कर सकती। 

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आप फेसबुक इस्तेमाल करते है और आपका डाटा फेसबुक के पास है लेकिन फेसबुक बिना आपकी अनुमति के उन्हें नहीं देख सकते और नहीं इसका इस्तेमाल कर सकते क्युकी GDPR के अनुपालन (compliance) के कारण। GDPR हमारे डाटा को सिक्योर रखने में मदद करता है और यह बेहद गोपनीय होता है।

GDPR के क्या फायदे है?

• आपका डेटा साइबर ब्रीच से बच सकता है 
• कंपनी आपके डेटा को एन्क्रिप्ट रखेगी
• सभी कंपनियों उपयोगकर्ताओं के डेटा को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रखने की कोशिश करेंगी। 
• इस से कस्टमर और कंपनी का भरोसा मजबूत होगा।
• GDPR के तहत कंपनी को नागरिकों से अपने पर्सनल और प्राइवेट डाटा को प्रोसेस करने के लिए सहमति लेनी होगी। 
• बिना यूजर की पर्मिशन के डाटा का यूज़ नहीं होगा।

GDPR का प्रभाव किन प्रकार की कंपनियों पर पड़ेगा?

भारत और अन्य कंट्री की जो कंपनियां है जो यूरोपीय कम्पनियों के साथ काम कर रही हैं या फिर उनके कस्टमर यूरोपियन है तो उन पर इसका असर हो सकता है।

खास करके इन प्रकारकी बड़ी और छोटी ऑनलाइन कम्पनिआ पे बड़ा प्रभाव पड़ेगा जैसे की ईकॉमर्स, सोशल नेटवर्किंग, इत्यादि। आसान शब्दों में, यह नियम उन बिज़नेस पर भी लागू होगा जहां डेटा प्रसंस्करण यूरोप के बाहर होता है। 

दोस्तों अब आपको पता चल गया होगा की GDPR क्या है और यह हमारे लिए कितना फायदेमंद है और रहेगा। GDPR एक बेहद ही उपयोगी कानून और पॉलिसी है जोकि सभी उपयोग करता के लिए जरूरी है। इस लेख को पढने के लिए आपका धन्यवाद।

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